दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को एक याचिका दायर कर देश में गलत तरीके से हो रहे धर्मांतरण के खिलाफ एक कानून बनाने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि संविधान में अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की छूट दी गई है, लेकिन इसकी आड़ में कुछ लोग हिंदू धर्म की कुछ जातियों और गरीब लोगों को विभिन्न प्रकार का लालच देकर उनका धर्मांतरण करा रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि अगर समय रहते इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो हिंदुस्तान में ही हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। याचिका में इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट, अन्य न्यायालयों और लॉ कमीशन की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है, जिसमें इस तरह के विषय पूर्व में ही उठाए जा चुके हैं।
याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति हरिशंकर की पीठ के सामने सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने अमर उजाला से कहा कि देश के अनेक राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं।
वर्ष 2001 और 2011 की जनगणना इस बात को प्रमाणित करती है कि देश के कुछ इलाकों में दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की आबादी आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ रही है, जबकि इन्हीं राज्यों में हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है।
याचिका में कहा गया है कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों और गरीब लोगों को लालच देकर, करिश्माई करतब दिखाकर धर्म विशेष के प्रतीकों को श्रेष्ठ बताकर और कहीं-कहीं पर काला जादू दिखाकर लोगों का धर्मांतरण किया जा रहा है। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम का उपयोग भी किया जा रहा है।